He wore humor like a hat, but truth was the fire in his eyes
Some writers document their times, and then some distill the soul of an entire era into wit, satire, and unforgettable storytelling. Imagine a time when slavery still cast its long shadow across a fractured America, when the Mississippi River wasn’t…
कुछ लोग इस दुनिया में ऐसे आते हैं जो समय से नहीं चलते, समय जिनके पीछे चलता है। वे अपने युग के लिए “असमय” होते हैं — ज़रा आगे, ज़रा अलग, ज़रा “निराले”। उन्हें समझने में समाज को वक्त लगता है, और कभी-कभी वो वक्त उनके मरने के बाद ही आता है। सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’…
“जो साहित्य जीवन की सच्चाइयों से मुंह मोड़ ले, वह केवल सजावट बनकर रह जाता है।”
जब भी हिंदी साहित्य की दुनिया में यथार्थवाद और सामाजिक चेतना की बात होती है, तो सबसे पहले याद आता है मुंशी प्रेमचंद का नाम। वे न केवल एक महान साहित्यकार थे, बल्कि एक विचारक, समाज-सुधारक और संवेदना…
