कुछ लोग इस दुनिया में ऐसे आते हैं जो समय से नहीं चलते, समय जिनके पीछे चलता है। वे अपने युग के लिए “असमय” होते हैं — ज़रा आगे, ज़रा अलग, ज़रा “निराले”। उन्हें समझने में समाज को वक्त लगता है, और कभी-कभी वो वक्त उनके मरने के बाद ही आता है। सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’…
